जय श्री राम क्यों नहीं बोलना चाहिए
बहुत सारे जगत के भाई बहन बोलते हैं कि आप
"जय श्रीराम" क्यों नहीं बोलते हो?
आप सब को बता दू की "जय श्रीराम" हमारे सनातन ग्रंथो में कहीं पर भी उल्लेख नहीं बल्कि राजनेताओं, नक़ली कथावाचको ने हमारे मासूम भाईयो, बहनों और भगत समाजो को भ्रमित किए हैं l
विश्व मे जितने भी आदरणीय महापुरुष राम भक्त थे उन्होंने कभी भी "जय श्रीराम" शब्द का उच्चारण नही किए थे बल्कि! दो अक्षर का शब्द "राम" का का उच्चारण किए थे l
"राम राम" नम्रता का प्रतीक है जो भगवान के प्रति श्रद्धा भाव दिखाता है बल्कि "जय श्री राम" जोर से कहना अहंकार दर्शाता है ।
प्रमाण के लिए देखिए वाल्मीकि आनंद रामायण, सर्ग १० सारकाण्डम पृष्ठ नंबर १११
👉 गीता अध्याय १६ श्लोक १३
जो लोग शास्त्रों की आज्ञाओं को त्यागकर, इच्छा के आवेग के तहत कार्य करते हैं, वे न तो पूर्णता, न खुशी, न ही जीवन में सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त करते हैं।
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