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कबीर परमात्मा भिन्न-२ रूप से अपनी पुण्यात्माओं को सत ज्ञान से परिचित करवाते हैं।

कबीर परमात्मा भिन्न-२ रूप से अपनी पुण्यात्माओं को सत ज्ञान से परिचित करवाते हैं। कबीर साहिब चारों युगों में आते हैं तथा किसी भी रूप में लीला करके पुण्यात्माओं को सतभक्ति प्रदान करते हैं। कबीर परमात्मा भिन्न-२ रूप से अपनी पुण्यात्माओं को सत ज्ञान से परिचित करवाते हैं। कबीर साहिब चारों युगों में आते हैं तथा किसी भी रूप में लीला करके पुण्यात्माओं को सतभक्ति प्रदान करते हैं। कबीर साहिब ने अपने बीजक ग्रंथ में अनेकों जगह अपने युगों युगों में आना स्वीकार किया है। जैसे - | युग युग सो कहवैया, काहु न मानी बात। (साखी, रमैनी 5) | कहते मोहि भये युग चारी, काके आगे कहीँ पुकारी । (रमैनी 14) | कहइत मोहि भये युग चारी, समझत नाहिं मोर सुत नारी। (रमैन 50) | चित्तहु दे समझे नहीं, मोहिं कहत भये युग चार । (साखी 74) | तबभी अच्छा अबभी अच्छा, जुग-२ होउं न आन । (साखी 183) अन्य संत महापुरुष आदि चाहे महाराष्ट्र के संत ज्ञानेश्वर जी तथा संत शाहमुनि जी हों, हरियाणा के संत गरीबदास जी तथा संत हरिदास निरंजनी जी हों, या फिर छत्तीसगढ़ के संत धर्मदास जी हों। सभी ने कबीर साहिब के चारों युग में आगमन होने की बात को स्वीकारा ह...

रविदास जी के गुरु

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🔹संत रविदास जी के गुरु कबीर परमेश्वर जी थे⤵️ तब रैदास कही निज बाता ।  गुरु समान कबीर बड़ भ्राता ।। सो तुम गाओ सो मैं गाऊं, तुमरा ज्ञान विचारूं । कहे रैदास कबीर गुरु मेरा, भ्रम कर्म धोई डरूं ।। अनभै कथी रैदासा कूं, मिल गये पीर कबीर ।  मगहर बीच झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर ।। रैदास खवास कबीर का, युगा-२ सत्संग ।  मीरा का मुजरा हुआ, चढ़त नवेला रंग ।। - संत गरीबदास जी  संत रविदास जी द्वारा पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब की महिमा धनि कबीर धनि वो सत् गुरू, जिन परम तत् लखाया । कहै रविदास सुनो हो स्वामी, मै शरण तुम्हारी आया ।। साहेब कबीर समर्थ है, आदि अन्त सर्व काल ।  ज्ञान गम्या से देदिया, कहै रैदास दयाल ।।  अनुभव किया रैदास ने, मिल गया सत्य कबीर ।  मगहर बिच झगड़ा मिटया, पाया नहीं शरीर ।। - संत रविदास जी परमेश्वर कबीर जी ने काशी के प्रसिद्ध स्वामी रामानन्द जी को यथार्थ भक्ति मार्ग समझाया था। अपना सतलोक स्थान दिखाकर वापिस पृथ्वीलोक में छोड़ा था। अर्थात कबीर साहेब जी ने स्वामी रामानंद जी को सतज्ञान समझाया और उन्हें सतलोक ले कर गए। उससे पहले स्वामी रामानन्द जी केवल ब्र...

जो मंत्र तुलसीदास जी ने छिपाया वह मंत्र गरीबदास जी ने उजागर किया

जो मंत्र तुलसीदास जी ने छिपाया वह मंत्र गरीबदास जी ने उजागर किया अपने ग्रन्थ में 👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼 जो मंत्र शिव ने जाप किया वही मंत्र #पार्वती को उपदेश किया सहस नाम सम सुनी शिव बानी जपि जेई पिय संग भवानी "रामचरित मानस,, "सुरती निरति मन पवन परि सोहम सोहम होई शिव मंत्र गोरिज कहा अमर भई है सोई "गरीबदास जी की वाणी,,

जय श्री राम क्यों नहीं बोलना चाहिए

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बहुत सारे जगत के भाई बहन बोलते हैं कि आप  "जय श्रीराम" क्यों नहीं बोलते हो?  आप सब को बता दू की "जय श्रीराम" हमारे सनातन ग्रंथो में कहीं पर भी उल्लेख नहीं बल्कि राजनेताओं, नक़ली कथावाचको ने हमारे मासूम भाईयो, बहनों और भगत समाजो को भ्रमित किए हैं l  विश्व मे जितने भी आदरणीय महापुरुष राम भक्त थे उन्होंने कभी भी "जय श्रीराम" शब्द का उच्चारण नही किए थे बल्कि! दो अक्षर का शब्द "राम" का का उच्चारण किए थे l "राम राम" नम्रता का प्रतीक है जो भगवान के प्रति श्रद्धा भाव दिखाता है बल्कि "जय श्री राम" जोर से कहना अहंकार दर्शाता है । प्रमाण के लिए देखिए वाल्मीकि आनंद रामायण, सर्ग १० सारकाण्डम पृष्ठ नंबर १११ 👉 गीता अध्याय १६ श्लोक १३  जो लोग शास्त्रों की आज्ञाओं को त्यागकर, इच्छा के आवेग के तहत कार्य करते हैं, वे न तो पूर्णता, न खुशी, न ही जीवन में सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त करते हैं।

परमात्मा चारों युग में आते हैं

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 परमात्मा चारों युग में आते हैं परमात्मा कबीर साहिब जी भिन्न-२ रूप से प्रकट होकर अपनी पुण्यात्माओं को यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित करवाते हैं। कबीर साहिब ने बीजक ग्रंथ में अनेकों जगह अपने हर युग में आना स्वीकार किया है। जैसे - युग युग सो कहवैया, काहु न मानी बात ।। (साखी, रमैनी 5) कहते मोहि भये युग चारी, काके आगे कहीँ पुकारी ।। (रमैनी 14) कहइत मोहि भये युग चारी, समझत नाहिं मोर सुत नारी ।। (रमैनी 50) चित्त देके समझे नहीं, मोहिं कहत भये युग चार ।। (साखी 74) तब भी अच्छा अब भी अच्छा, युग युग होउं न आन ।। (साखी 183) अन्य संत महापुरुष आदि चाहे महाराष्ट्र के संत ज्ञानेश्वर जी तथा संत शाहमुनि जी हों, हरियाणा के संत गरीबदास जी तथा संत हरिदास निरंजनी जी हों, या फिर छत्तीसगढ़ के संत धर्मदास जी हों। सभी ने कबीर साहिब के चारों युग में आगमन को स्वीकारा है । हेंचि गुह्यज्ञान नामदेवा लांधले, कबिरा ने कथिले चार युगी ।। (संत ज्ञानेश्वर) त्रेता है मुनींद्र नाम, द्वांपरीं करुणाकर परम । कलिमा कबीर उत्तम, नाम विख्यात विश्वमुखी ।। (संत शाहमुनि) सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग परवान । झूठे गुरुवां मर...

क्या परमात्मा दिखाई देता है ?

दास ने पुछा                  क्या दूध में घी दिखाई देता है?  उत्तर देश                               दूध में घी दिखाई नहीं देता बिलकुल सही है मगर क्या दूध में घी नहीं होता है ? दूध में घी बिल्कुल होता है मगर घी प्राप्त करने के लिए एक प्रक्रिया होता है  प्रक्रिया इस प्रकार है दूध को धीमी या मध्यम आंच पर उबाला जाता है दूध कम से कम 1 से 2 घंटे के लिए ठंडा किया जाता है फिर दूध पर बनी ऊपर की मलाई को निकाल कर एक अलग बड़े एयर टाइट डिब्बे में भरकर फ्रीजर में रख लिया जाता है फिर वह मलाई धीरे-धीरे दही में परिवर्तित हो जाती है फिर दही को गुथा जाता है फिर उसमें मक्खन निकलता है मक्खन को आग में तपाया जाता है फिर घी निकलता है  जिसे अंधे ने प्रभु को देखा नहीं वह रूप बताना क्या जाने ? इसी प्रकार परमात्मा का पाने का प्रोसेस होता है अर्थात देखने का प्रोसेस होता है वह भक्ति विधि जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के पास है l संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा...

गुरु का आदर सत्कार कैसे करते हैं

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गुरु का आदर सत्कार कैसे करते हैं  परमात्मा अपनी वाणी में कहते हैं कि सतगुरु सम कोई नहीं, सात दीप नौ खण्ड।  तीन लोक न पाइये, अरु इकइस ब्रह्मणड॥